अपने नए विचारों को कम मत आंकिए!

क्रिएटिव थिंकिंग (रचनात्मक सोच) का मतलब होता है, किसी चीज़ को नए तरीके से सोचना। नए तरीके से सोचना एक महत्वपूर्ण जीवन-कौशल है। इसके लगातार अभ्यास करते रहने से हम कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी नए तरीके अपनाकर सुरक्षित रह सकने में समर्थ रहते हैं।

रचनात्मक सोच एक साथ कई विचारों का निर्माण करती है। उनमें से अधिक उपयुक्त का इस्तेमाल कर हम समाधान तक पहुंच सकते हैं। रचनात्मक सोच में आउट-ऑफ-बॉक्स कल्पना बहुत मदद करती है।

रचनात्मक सोच में हमेशा नए विचारों को आज़माया जाता है। रचनात्मक सोच वाला व्यक्ति नए विचारों को आजमाने से डरता नहीं है। रचनात्मक सोच वाला हमेशा अपने कंफ़र्ट ज़ोन से बाहर आकर काम करता है।

रचनात्मक सोच उस पैटर्न को समझने की कला है जो स्पष्ट नहीं है पर काम करती है। रचनात्मक विचारक पारंपरिक सोच को उलट देता है।

कर्मचारियों के बीच विवाद के समाधान में रचनात्मकता सबसे अच्छा प्रभावी तरीका होती है क्योंकि यह हर परिस्थिति में बदलती रहती है।

रचनात्मक सोच एक ऐसा कौशल है जिसे कोई भी विकसित कर सकता है।

किसी चीज़ के बारे में रचनात्मक रूप से सोचने से पहले, हमें उसे समझना होता है। इसके लिए चीज़ों की सावधानीपूर्वक जांच करनी होती है।

रचनात्मक सोच के अभ्यास का सरल तरीका है कि हमें जब कोई डाटा या समीकरण दिखाई दे तब यह विश्लेषण करना चाहिए कि अगर ऐसा होता तो क्या होता, अगर ऐसा नहीं होता तो क्या होता? आदि आदि।

सच्चाई यही है कि किसी नए विचार को आज़माते समय हमें थोड़ा गड़बड़ करने की जरूरत होती है ताकि अन्य लोग समझ सकें कि कुछ नया प्रयोग किया जा रहा है। यही समझना रचनात्मकता है।

लोग नए रचनात्मक विचार या समाधान की सराहना तभी करते हैं जब उन्हें उसके बारे में प्रभावी ढंग से बताया जाता है।

कई नियोक्ता रचनात्मकता को महत्व देते हैं। हम जिस भी उद्योग में काम करते हैं या काम करने की योजना बनाते हैं, हम पाते हैं कि रचनात्मकता हमारे रोज़मर्रा के कामों और दीर्घकालिक लक्ष्यों दोनों में मदद करती है।

सभी उद्योगों में नियोक्ता ऐसे कर्मचारी ही चाहते हैं जो अपनी रचनात्मक सोच से कार्यस्थल पर नया दृष्टिकोण लाए।

आजकल कंपनियां उसी व्यक्ति को पद देना चाहती हैं जो अपनी रचनात्मक क्षमता से उन्हें आगे बढ़ाने में मदद कर सकता है।

नौकरी के लिए रखते समय अथवा कोई प्रोजेक्ट देते समय पहला प्रश्न होता है: औरों से अलग आपमें ऐसा क्या है जो आपको नौकरी पर रखा जाए अथवा प्रोजेक्ट दिया जाए?

रचनात्मक सोच का मतलब है, समस्याओं के लिए नए-नए समाधान विकसित करना। इसके लिए रचनात्मक विचारक एक साथ कई विचारों पर मंथन करते हैं, उनकी उपयोगिता पर चर्चा करते हैं और फिर एक नई प्रक्रिया का ईजाद करते हैं।

कभी कभी रचनात्मक सोच अकेले संभव नहीं होती है, तब एक टीम के रूप में काम करने से आसानी से ऐसे विचार मिल जाते हैं। ध्यान रखना चाहिये कि रचनात्मक सोच एक बुलबुले में नहीं होती है। दूसरों की राय, विचार और प्रतिक्रिया पूछना भी महत्वपूर्ण होता है।

रचनात्मक सोच जैसा सॉफ्ट स्किल हमेशा नियोक्ताओं के लिए मूल्यवान होता है। नियोक्ताओं को ऐसे कर्मचारियों की आवश्यकता होती है जो जटिल समस्याओं को सुलझाने में उनकी मदद करने के लिए नए विचारों को विकसित कर उनका सही प्रयोग कर सकें।

क्रिएटिव थिंकिंग उस समय पनपती है जब हम एक ही समय में एक ही चीज को भिन्न-भिन्न तरीके से देखने, सोचने की कोशिश करते हैं यानि उसकी उपयोगिता के बारे में जानने की इच्छा करते हैं।

रचनात्मक सोच से व्यक्ति मूल विचारों का निर्माण करता है। रचनात्मक सोच हमेशा नई होती है। यह किसी की नकल नहीं होती है।

संभव है, शुरुआत में रचनात्मक सोच प्रभावी न हो, सफ़ल न हो, पर हमेशा ही असफल हो, ऐसा नहीं हो सकता है।

रचनात्मक सोच वाले को लोग पागल, बेवकूफ कहते हैं लेकिन यह कुछ ही दिन चलता है, फिर उसे बुद्धिमान ही माना जाता है और वह भी जीनियस श्रेणी का।

रचनात्मक विचार बहुत साधारण बात से शुरू होता है। उदाहरण के लिए, स्टीव जॉब्स ने स्मार्टफोन के विचार से शुरुआत नहीं की थी। उन्होंने बस उस समय का एक मौजूदा सेल फोन लिया और बहुत ही सरल प्रश्न पूछा : हम इसे बेहतर बनाने के लिए इसमें कैसे सुधार कर सकते हैं या इसे सर्वश्रेष्ठ कैसे बना सकते हैं?

ध्यान रहे, क्रिएटिव थिंकिंग के लिए कोई सार्वभौमिक नुस्खा नहीं होता है। प्रत्येक व्यक्ति को अपनी विशेषता, रुचि, सोच के प्रकार, या यहां तक ​​कि जिस टीम में वह भाग ले रहा है, उसके आधार पर अपना स्वयं का दृष्टिकोण विकसित करना होता है।

नए विचार पॉपकॉर्न की तरह नहीं उभर आते हैं। लेकिन ऐसा हो सकता है, अगर हमें सपने देखने का अभ्यास है और हमें सुसंगत विचारों पर ध्यान केंद्रित करने का भी अभ्यास है।

प्रायः यह सुना जाता है कि अमुक विचार पहले मेरे मन में आया था… किसी ने मेरी बात नहीं सुनी….।

यह सही है कि कहने वाले के पास एक अद्भुत विचार था, लेकिन सच्चाई यह है कि उसने लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने के लिए या दूसरों को अपने विचार समझाने के लिए खुद को स्पष्ट और रोमांचक तरीके से पेश नहीं किया होगा।

एक पुरानी कहावत है, यदि आप अपने विचार को तीन वाक्यों में व्यक्त नहीं कर सकते हैं, तो आपके पास कोई विचार नहीं है!

रचनात्मक रूप से सोचते समय, हम किसी समस्या पर काबू पाने के लिए नए समाधान या नए तरीके विकसित कर सकते हैं, जिसके बारे में दूसरों ने अभी तक नहीं सोचा है। यह नई सोच विकसित करने में कोई रुकावट नहीं डाल सकता है। हर कोई इसमें स्वतंत्र है।

एक सफल क्रिएटिव माइंड अधिक से अधिक समाधानों या प्रक्रियाओं पर विचार-मंथन करता है, हर संभावना के बारे में सोचता है, भले ही उसे ऐसा लगे कि यह काम नहीं करेगा। वह छोटी से छोटी संभावना को नेगलेक्ट नहीं करता है।

रचनात्मक विचारक आम तौर पर नई चीजों को आजमाने के लिए तैयार रहते हैं ताकि वे विभिन्न क्षेत्रों में अधिक अनुभव प्राप्त कर सकें। ऐसे लोग खतरा उठाने के लिए मानसिक रूप से हमेशा तैयार रहते हैं।

बहुत से लोग मानते हैं कि रचनात्मक सोच ऐसी चीज़ है जो अचानक से सामने आती है। वास्तव में, हर दिन हमारे सामने समस्या का समाधान ढूंढने का मौका आता है, अपनी क्रिएटिव थिंकिंग का उपयोग करने का मौका मिलता है, बस हम उनका हिसाब-किताब नहीं रखते हैं, इसीलिए हम अपने को एक मज़ा हुआ क्रिएटिव थिंकर नहीं कह पाते हैं। क्रिएटिव थिंकिंग की प्रतिभा हर एक के पास जन्मजात होती है।

रचनात्मक सोच को बढ़ावा देने के लिए हमें अपने दृष्टिकोण को बदलना होता है। सोचने की नई और अलग-अलग शैलियाँ सीखनी होती हैं। इसके लिए शक्तिशाली विचारों को लिखना होता है, और जमीन पर उतारने के लिए उसे उपयोग करना पड़ता है।

रिवर्स थिंकिंग यानि समस्या से समाधान की ओर न जाकर, समाधान से समस्या तक आना, भी किसी समस्या को हल करने के बारे में एक बड़ा तरीका होता है। इसमें हम यह सोचते हैं कि आखिर यह समस्या उत्पन्न कैसे हुई? याद होगा गणितीय प्रश्नों को हल करने में हम कांट्रडिक्टरी मेथड्स का उपयोग करते थे।

उदाहरण के लिए, यदि हम ग्राहक सेवा में सुधार करने का प्रयास कर रहे हैं, तो सोचना होगा कि कौन-सी क्रियाएँ खराब ग्राहक सेवा की ओर ले जाएँगी। इन क्रियाओं की पहचान करने से हमें यह समझने में मदद मिल सकती है कि किन चीज़ों से बचना चाहिए?

रचनात्मक सोच हमें सिर्फ़ एक बेहतर कर्मचारी ही नहीं बनाती; यह हमें एक बेहतर अभिभावक, छात्र और नेता भी बनाती है। 

जोखिम लेने और असफल होने से नहीं डरना चाहिए। असफलता रचनात्मक प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो भविष्य के प्रयासों के लिए मूल्यवान सबक और अंतर्दृष्टि प्रदान करती है।

रचनात्मकता के अभ्यास से हमारा समस्या-समाधान-कौशल और कल्पनाशील सोच बढ़ती है। इसके लिए हमें विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं को पढ़ने रहना चाहिए। अपने दिमाग में पैदा हो रहे विचारों को लगातार लिखते रहना चाहिए।

रचनात्मक सोच के कौशल को बढ़ाने के लिए नियमित रूप से हमें योग की क्रियाएं करनी चाहिए जिससे हमारा मन शान्त रहे, एकाग्रता बनी रहे, और तनावमुक्त रहें। जमीन साफ सुथरी, उपजाऊ होती है तभी अच्छी फसल उगती है। ठीक यही बात विचारों के बारे में भी सही है: नए विचार, शान्त चित्त में ही आते हैं। खोजें शान्त मन ही करता है। न्यूटन ने अपनी सभी खोजें उस समय की थी जब वह अपने गांव में, चूहों से पैदा होने वाली बीमारी प्लेग से बचने के लिए यूनिवर्सिटी बंद हो जाने के कारण, एकांतवास कर रहा था।

रचनात्मकता बढ़ाने के लिए हमें अलग-अलग गतिविधियों में भाग लेना चाहिए, भिन्न भिन्न जगहों की यात्रा करनी चाहिए, नए लोगों से मिलना चाहिए, विभिन्न संस्कृतियों का पता लगाना चाहिए। विविध अनुभवी व्यक्तियों से परिचित होने से हमारा नज़रिया व्यापक होता है।

हमें अपनी रुचि जगाने वाली हर चीज़ के बारे में सवाल पूछने चाहिए और वास्तविक उत्तर आने से पहले संभावित उत्तरों के बारे में सोचना चाहिए। यथास्थिति को चुनौती देना और नई जानकारी की तलाश करना एक शुरुआती मानसिकता विकसित करता है और अभिनव विचारों को जन्म देता है।

क्रिएटिव थिंकिंग बढ़ाने के लिए:
(अ) कला, विज्ञान, उद्योग, क्षेत्र के जानकार लोगों से मिलें
(ब) अपनी रुचियों को साझा करें और दूसरों की प्रतिक्रिया को समझें
(स) अपने मन के छोटे-से-छोटे विचारों को भी अपने हाथों से लिखें ज़रूर 

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