जो सबको साथ लेकर चले, वह सबको भाता है!

टीम लीडर वह होता है जो एक ऐसी टीम बनाने और बनाए रखने की क्षमता रखता है है जो अपने प्रतियोगियों की अपेक्षा अच्छा प्रदर्शन करती है। दूसरे शब्दों में, हम कह सकते हैं कि लोगों को अन्य टीमों से बेहतर प्रदर्शन करने के लिए जो संगठित कर सकता है, वही टीम लीडर है।

टीम लीडर अपने सहयोगियों को प्रेरित करने की क्षमता रखता है। वह अच्छा प्रेरक, अच्छा वक्ता और अच्छा मार्गदर्शक होता है। वह रणनीतियां विकसित करने में कामयाब रहता है। वह रणनीतियों को सफल बनाने के लिए जोखिम उठाने से नहीं हिचकता है। वह यथास्थिति को चुनौती देता है। वह दूसरों को कुछ नया और बेहतर हासिल करने के लिए प्रेरित करता है।

समस्याएं आने पर अच्छा टीम लीडर समस्या को पहले अस्थायी रूप से निपटाता है, फिर वह समस्या का मूल कारण ढूंढता है और समस्या को हल करने के लिए सामूहिक उपाय करता है।

नेतृत्व वही प्रभावी होता है जो अपने निर्णय के प्रति जवाबदेह रहता है, अपने ज्ञान और योग्यता के बल पर अपने निर्णयों के प्रति ईमानदार और निष्पक्ष होता है।

नेतृत्व अच्छा वह होता है को अपने व्यावसायिक कौशल का उपयोग करके अपने संस्थान के लिए भावी दृष्टिकोण निर्धारित करता है। अच्छा नेतृत्व भविष्य के बारे में सोचता है, अपने आसपास के लोगों को अपने आचरण से प्रेरित करता है, और उन पर सकारात्मक प्रभाव छोड़ता है।

सही नेतृत्व वह होता है जो देख सकता है कि चीजों को कैसे बेहतर बनाया जा सकता है और जो लोगों को उस बेहतर दृष्टि की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित करता है। वह साथियों को प्राथमिकता देते हुए अपने दृष्टिकोण को वास्तविक बनाने की दिशा में काम करता है।

अच्छा टीम लीडर अपनी टीम के मनोबल और सफलता को हर हाल में बनाए रखता है। वह निर्णय लेने की प्रक्रिया में सभी को शामिल करता है। अपनी टीम के प्रत्येक सदस्य में रचनात्मकता, विश्वास और सकारात्मकता बनाए रखता है।

जब नेतृत्व शैली में सभी की राय शामिल होती है और अंतिम निर्णय पर पहुँचने के लिए बहस और चर्चा के बाद एक राय बनती है तब परिणाम में सब अपने को जिम्मेदार मानते हैं।

गीता में श्रीकृष्ण, अर्जुन को समझाते हुए कहते हैं:

देवान्भावयतानेन ते देवा भावयन्तु वः।
परस्परं भावयन्तः श्रेयः परमवाप्स्यथ।।

भावार्थ है कि नेतृत्व करना है तो समूह बना कर कार्य करना होगा। तुम दूसरों की चिंता करो और वह तुम्हारी चिंता करें तब परस्पर सामंजस्य से ही सफलता प्राप्त होगी। हमें स्मरण रहना चाहिये की हम में से कोई भी पूर्ण नहीं है परंतु अनेक विशेषताओं के लोग मिल कर पूर्णता प्राप्त कर के पूर्ण लक्ष्य प्राप्त कर सकते हैं।

न बुद्धिभेदं जनयेदज्ञानां कर्मसङ्गिनाम्।
जोषयेत्सर्वकर्माणि विद्वान् युक्तः समाचरन्।।

इसका भावार्थ है कि सहयोगी की क्षमता को समझते हुए उसे आगे बढ़ाओ। तभी हम अधिकाधिक कार्यकर्ताओं का विकास करके अपने कार्य में उनका उपयोग कर पाएंगे। नेतृत्चकर्ता को अपने ज्ञान का विकास सतत करना चाहिये क्योंकि उसकी कोई सीमा नहीं है।

संक्षेप में नेतृत्व के प्रमुख गुण निम्न प्रकार हैं : पारस्परिक कौशल निर्माण की कला, कार्यों को प्रभावी ढंग से सौंपने की क्षमता, परिणाम-उन्मुख मानसिकता और टीम के सदस्यों को प्रेरित करने और उनका समर्थन करने की क्षमता

हमें एक अच्छे लीडर के तौर पर कभी नहीं कहना चाहिए कि तुम तो समझदार हो, तुम्हें तो समझना चाहिए। यह वाक्य दुधारी तलवार जैसे काम करता है।

एक मजबूत टीम बनाना आसान नहीं होता है। इसके लिए लीडर समर्पित सहयोगियों से विचार करने के बाद ही कोई निर्णय लेता है। अपनी टीम के विजन और सुझावों को महत्व देता है। अपने टीम के सदस्यों की राय की अवहेलना नहीं करता है।

वह अपनी टीम के साथ संवाद करते समय लचीला और चुस्त रहता है। वह समय पर मार्गदर्शन देने और बड़े निर्णय लेने में  मदद करता है।

बिना मजबूत इरादे यानि आत्मविश्वास के टीम लीडर रेत की नींव पर बना मकान होता है चाहें उस पर किसी अच्छे ब्रांड के पेंट का अच्छा कोट ही क्यों न लगा हो। लोग ऐसे व्यक्ति के पीछे चलना चाहते हैं जो अपने कौशल और क्षमता पर संदेह नहीं करता हो ।

कई विचारकों के अनुसार व्यक्ति में आत्मविश्वास घर पर उनके पिछले अनुभवों का परिणाम होता है और ज़्यादातर दस साल की उम्र तक विकसित हो जाता है। एक बकरी का बच्चा शेर के बच्चे को बहुत देर तक डींग हांककर और अपनी सींग से नहीं डरा सकता है।

आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए काम पूरा होने पर कहना चाहिए : मुझे पता था कि तुम यह कर सकते हो!

हर सफलता के बाद जश्न ज़रूर मनाना चाहिए।

सफल नेता ऐसे निर्णय लेने से नहीं डरते जिनका प्रभाव पूरी टीम पर पड़ता है, क्योंकि वे जानते हैं कि विकल्पों का मूल्यांकन कैसे किया जाए और सर्वोत्तम विकल्प का चयन कैसे किया जाए।

एक  प्रभावी लीडर अच्छा वक्ता और अच्छा श्रोता होता है। उसे अच्छी तरह आता है कि अपनी टीम को कैसे बताना है कि वह उनसे क्या अपेक्षा रखता है।

वह अपनी पूरी टीम की ज़रूरतों को समय पर पूरा करता है। वह अपने साथियों की प्रशंसा करने में कंजूसी नहीं करता है। वह खुलकर उनकी प्रशंसा करता है।

एक लीडर को अच्छे आचरण का होना चाहिए, अपनी बात का पक्का होना चाहिए, कठिन परिस्थितियों में अपने साथियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर मजबूती से खड़ा होना चाहिए। किसी सहयोगी का कोई नुकसान नहीं हो, इसका ध्यान रखना चाहिए। अपनी जिम्मेदारी से भागना नहीं चाहिए। उसे ध्यान रखना चाहिए कि वह बहुतों के लिए उदाहरण और प्रेरणा है।

उसे हमेशा विनम्र और जमीन से जुड़ा होना चाहिए। विनम्रता यह नहीं होती है कि हम अपने को कम समझें, कम महत्व दें, बल्कि टीम की सफलता में साथियों को महत्व ज्यादा दें। बॉस (ऊपर वाला) तो सब जानता ही है।

जब सांसें उधार की हैं, यश-वैभव ऊपर वाले का है तो अभिमान किस बात का?

नहीं भूलना चाहिए कि एक अच्छा लीडर जानता है कि :
(अ) कोई भी व्यक्ति हर काम में परफेक्ट नहीं होता है। यह परिपक्वता धीरे-धीरे समय के साथ अनुभव के रूप में आती है।
(ब) उसके तरकश में कई छिपे तीर हैं जो अलग-अलग मौकों पर काम आयेंगे। उसके पास कई ताकतें भी हैं।
(स) उसे छोटी गलतियों को नजरंदाज कर नई शक्ति से आगे बढ़ने के लिए अपने सहयोगियों को लगातार प्रेरित करते रहना है। उसे सिखाना है कि अपने काम के प्रति समर्पित रहने का मतलब यह होता है कि कोई न देखे, तब भी ईमानदारी से काम करते रहें।

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