छोटी चीजों को नजअंदाज नहीं करना चाहिए!
दीपावली बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। यह बताता है कि अंतिम जीत अच्छाई की ही होती है, चाहें बुराई कितनी ही ताकतवर क्यों न हो।
दीपावली शब्द संस्कृत के दो शब्दों से मिलकर बना है:
दीप और आवली।
इसका अर्थ है: दीपों की पंक्ति।
दीप प्रकाश का प्रतीक है। दीपावली मनाने का भाव है कि दीपों की रोशनी अंधेरे को खत्म करेगी। अंधेरा हटने का मतलब होता है कि आशापूर्ण उज्ज्वल भविष्य आयेगा, हमारी नकारात्मक इच्छाएं, विचार, और हमारे अंदर की बुराइयां खत्म होंगी।
दीपावली पर्व मनाने का एक उद्देश्य यह भी है कि हम अपनी सांस्कृतिक विरासत के आध्यात्मिक, ऐतिहासिक, सामाजिक और भौतिक धाराओं को स्मरण करते रहें।
यह पर्व त्रेताकाल के मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के जीवन से जुड़ा है। राम का जीवन संघर्षों से भरा रहा है, प्रयासों से भरा रहा है, सबको साथ लेकर चलने वाला रहा है, सबको सम्मान देने वाला रहा है। हमें भी संघर्ष और प्रयास बनाए रखना चाहिए। संघर्ष से घबड़ाना नहीं चाहिए और प्रयास से हटना नहीं चाहिए।
समुद्र को रत्नाकर कहा जाता है। समुद्र-मंथन का तात्पर्य है: विचार-विमर्श के उपरांत समुद्र से उपलब्धि। इस मंथन में सबसे पहले धन्वंतरि प्रकट हुए। इसका मतलब है कि हर जीव के लिए उसका अच्छा स्वास्थ्य ही सबसे अधिक महत्वपूर्ण होता है। धन्वंतरि आरोग्य के अमृत कलश के साथ उत्पन्न हुए यानि उनके पास सुन्दर स्वास्थ्य के कई उपाय हैं।
दीपावली हमें प्रेरणा देती है कि हम अपनी आत्म ज्योति को प्रज्वलित करें, ज्ञान अर्जित करें, अपने को यश और कीर्ति से उज्ज्वल बनाएं, और अपना आत्मविश्वास बढ़ाकर अपने अंदर की समस्त बुराइयों को खत्म करें।
दीपावली का संदेश है:
(अ) पुरुषार्थ करने पर सफलता अवश्य मिलती है।
(ब) जहां सूर्य का प्रकाश नहीं पहुंच सकता है, वहां दीपक का प्रकाश पहुंच जाता है। दीपक छोटा होते हुए भी भयंकर अंधेरे से लड़कर जीत जाता है, अर्थात् छोटी चीजों को नजअंदाज नहीं करना चाहिए।
(स) इस उत्सव में धन की देवी लक्ष्मी, बुद्धि के देवता गणेश, और आरोग्य के देवता धन्वंतरि का पूजन किया जाता है अर्थात् सम्मान किया जाता है। इसका तात्पर्य यह है कि धन, बुद्धि, और आरोग्यता प्राप्त करने के लिए प्रयास जरूरी होता है।