दत्तात्रय रामचन्द्र कापरेकर वह भारतीय गणितज्ञ हैं जो बहुत ऊंची शिक्षा प्राप्त नहीं थे, परंतु उनका कार्य बहुत बड़ा है। उनका जन्म 17 जनवरी, 1905 को महाराष्ट्र में हुआ था। उनकी प्रारम्भिक शिक्षा थाणे और पुणे में, तथा स्नातक की शिक्षा मुम्बई विश्व विद्यालय से हुई थी। उन्होंने गणित या किसी अन्य विषय में स्नातकोत्तर शिक्षा नहीं पायी थी। वह नासिक में एक विद्यालय में अध्यापक थे।
कुछ स्थिरांक (Constant) और बहुत-सी संख्यायें उनके नाम से जानी जाती हैं। वे मनोरंजात्मक गणित के क्षेत्र में जाने माने व्यक्ति थे।
उच्च शिक्षा न प्राप्त करने के कारण भारत में गणितज्ञों ने उन्हें वह सम्मान नहीं दिया जो उन्हें मिलना चाहिये था। उनके शोधपत्र भी निम्न श्रेणी के गणित की पत्रिकाओं में छपते थे। उन्हें भारत में सम्मान तब मिला जब मार्टिन गार्डनर ने साईंटिफिक अमेरिकन पत्रिका के मार्च, 1975 अंक में, उनके बारे में लिखा।
संख्या 6174 को कापरेकर स्थिरांक (Kaprekar constant) कहते हैं। इसका पता कापरेकर ने लगाया था।
उदाहरण:
चार अंक की कोई भी संख्या लीजिये जिसके दो अंक भिन्न हों, जैसे 4567
संख्या के अंको को आरोही (decreasing) 7654 और अवरोही (increasing) क्रम 4567 में लिखें।
अब बड़ी संख्या से छोटी को घटाएँ।
7654 – 4567=3087
अब इस संख्या पर फिर वही क्रम कई बार दुहराने पर संख्या 6174 मिलेगी। इसे कापरेकर स्थिरांक कहते हैं क्योंकि इस पर वही क्रम लगाने पर हर बार 6174 ही उत्तर रहेगा।
उदाहरण
हमने संख्या ली : 4567
अब बड़ी संख्या होगी : 7654
प्रक्रिया क्रमांक 2 को दोहराने पर ऐसे क्रम चलेगा:
7654 – 4567=3087
8730 – 0378=8352
8532 – 2358=6174
7641 – 1467=6174
कापरेकर संख्या
ऐसी संख्या को कापरेकर संख्या कहते हैं जिसके वर्ग को दो ऐसे ‘भागों’ में विभाजित किया जा सके कि उन्हें जोड़कर हम पुनः प्रारम्भिक संख्या को प्राप्त कर सकें।
उदाहरण
55 को लीजिए।
55 का वर्ग=55² = 55×55=3025
अब 30+25=55
इस तरह की अन्य संख्याये हैं:
1,9, 45, 55, 99, 297, 703, 999, ..
डिमेलो संख्या
1, 11, 111, 1111, आदि Repunit संख्याएँ हैं, अर्थात Repeated Unit संख्याएँ। इनके वर्ग को डेमेलो संख्या कहते हैं जिनका आविष्कार कापरेकर ने किया था।
देखिए,
1² = 1
11² = 121
111² = 12321
1111² = 1234321
हर्षद संख्या
हर्षद संख्याएं वे संख्याएँ हैं जो अपने अंको के योग से भाज्य होती हैं। काप्रेकर ने इनका आविष्कार किया था और इन्हे हर्षद संख्या अर्थात ‘आनन्ददायक संख्या ‘कहा था।
उदाहरण: 12 एक हर्षद संख्या है क्योंकि यह संख्या 1+2=3 से भाज्य है।