जानते थे शून्य और ईश्वर का रहस्य

श्रीनिवास रामानुजन गणितीय ज्ञान की अबतक की ज्ञात प्रतिभाओं में सर्वाधिक विलक्षण व्यक्तित्व हैं। उन्हें अपनी कुलदेवी नामगिरि में अनन्य आस्था थी। वह अपने ज्ञान और गणितीय सफलता का श्रेय सदैव अपनी कुलदेवी को दिए। रामानुजन का गणितीय ज्ञान यूरोप सहित दुनिया के लगभग हर कोने के गणितज्ञों से काफी आगे थे।

श्रीनिवास रामानुजन का जन्म 22 दिसंबर 1887 को हुआ था। उनका जन्म तमिलनाडु के इरोड में हुआ था। हर साल 22 दिसंबर को रामानुजन की जयंती राष्ट्रीय गणित दिवस के रूप में मनाई जाती है।

रामानुजन ने अनंत श्रृंखला, सतत भिन्न, और संख्या सिद्धांत जैसे विभिन्न क्षेत्रों में योगदान दिया। रामानुजन को कभी भी गणित की औपचारिक शिक्षा नहीं मिली। उनके गणितीय निष्कर्ष केवल अंतर्ज्ञान पर आधारित थे जो आज भी सही हैं।

प्रसिद्ध ब्रिटिश गणितज्ञ जी.एच. हार्डी ने उन्हें अपने शोधों को कई शोध पत्रों में प्रकाशित करने के लिए प्रोत्साहित किया। 1918 में रामानुजन रॉयल सोसाइटी के फेलो के रूप में शामिल होने वाले दूसरे भारतीय थे।

रामानुजन का गणित के बारे में दृष्टिकोण अपरंपरागत था। वह गणित को केवल भौतिक ब्रह्मांड को समझने के एक उपकरण के रूप में ही नहीं, बल्कि दिव्य ज्ञान को प्रकट करने में सक्षम भाषा के रूप में मानते थे।

रामानुजन की दृष्टि में, निर्जीव गणितीय सूत्र एक आध्यात्मिक प्रतिध्वनि ग्रहण करते हैं और ईश्वर की अभिव्यक्ति बन जाते हैं।

वह मानते थे कि गणित एक निष्पक्ष क्षेत्र है। यह वह भाषा है जो अवर्णनीय को व्यक्त करने में सक्षम है। उनकी चिंतन क्षमता अत्यंत तीव्र थी। यही क्षमता उन्हें औरों से अधिक प्रतिभाशाली बनाती थी।

ऐसा प्रतीत होता है कि श्री रामानुजन का गणितीय शोध उनके अवचेतन मन से सक्रिय रूप से प्रभावित था। वे अक्सर बताते थे कि कैसे देवी नामागिरी उनके सपनों में आकर कठिन समस्याओं के उत्तर प्रदान करती थीं।

वह कहते थे कि मेरे लिए एक समीकरण का कोई अर्थ नहीं है जब तक कि वह ईश्वर के विचार को व्यक्त न करे।

रामानुजन का दृढ़ विश्वास था कि ब्रह्मांड और उसके रचयिता ईश्वर को समझने के लिए गणित ज़रूरी है। ईश्वर केवल गणित की भाषा ही जानता है, इसलिए हमें उससे उसी की भाषा में बात करनी चाहिये। अगर ईश्वर का दूसरा नाम प्रकृति है तो रामानुजन का कहना था कि गणित एक ऐसी भाषा है जिसको प्रकृति अवश्य सुनेगी और जिसका वह सदा उत्तर देगी।

महान गणितज्ञ को सादर नमन!

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