मौज-मस्ती-धमा-चौकड़ी का त्यौहार मैं सत्यव्रत जी के घर पहुंचा। घर सजा-संवरा हुआ था। दही-बड़ा खाकर मजा आ गया। यहां से संग्रहणीय और पठनीय चारों वेदों को पाकर अनंत खुशी हुई। त्रिपाठी जी के साथ सपरिवार गुलाब जामुन खाकर मजा आ गया। […]
कौड़ी के कौड़ी या कौड़ी का एक बहुत समय पहले की बात है। साधूलाल अपने बेटे संतलाल के साथ जा रहा था। बेटे की अपने पिता के साथ पहली यात्रा थी। पिता घर से व्यवसाय की खोज में और पैसा […]